गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

क्या तुमने कभी तनहाइयों से बातें की हैं ?

क्या तुमने कभी तनहाइयों से बातें की हैं ?

बहुत कुछ कहती हैं हमसे ये तन्हैयाँ ,

क्या तुमने कभी इनकी बातें सुनी हैं ?


कभी कभी रात में भी बनती हैं परछाईर्याँ,

चाहो न चाहो दूर तक संग चलती हैं ये परछाईर्याँ

क्या तुमने कभी इन परछाईर्याँ से बातें की हैं ?

क्या तुमने कभी तनहाइयों से बातिएँ की हैं ...?



कभी यु ही मिल जाते हैं रहो में कुछ अजनबी ,

देख कर जिन्हें हम बुन लेते हैं ईक पल में ही खवाब कई ,

कुछ ऐसे अजनबी , जिन्हें देख कर लगता है के "हम पहले भी हैं मिले कभी",

क्या तुमने ऐसे मौको पर दिल की बात सुनी है ?

क्या तुमने कभी ऐसे अजनबी से बातिएँ की हैं ?



गुजरी होंगी कई तनहा रातें किसी एक आहात के इन्तेजार में ,

देखा होगा अपना mobile कई बार किसी के कॉल के इन्तेजार में ,

क्या तुमने कभी इस इनेजार में हर पल यु ही तुम्हारा साथी बने उस phone से बातें की हैं ?

के तुमने कभी , उस रात में हर पल तुम्हारे इन्तेजार का हिस्सा बने उस चांदनी रात से बातें की हैं ?

बहुत कुछ कहना चाहती है ये रात तुमसे , क्या तुमने कभी इस रात की बात सुनी है ?



बहुत कुछ कहती हैं तन्हाईयाँ हमसे , है सिने में इसके कई राज बताने को ,

जब बात करोगे अपनी तनहाइयों से , ये तुम्हे हर राज बतएंगी,

चाहे तो छोड़ जाये सारा जहाँ साथ तुम्हारा ,

पर जब कभी भी होगे तुम तनहा , तन्हाई व्हो महबूबा है ,

जो तुम्हारा दामन छोड़ कर न जायेगी , ये हर पर साथ निभाएगी ,

क्या तुमने अपनी महबूबा[महबूब] (तन्हाई) से अपने दिल की बात कही है ?

क्या तुमने कभी उसकी बात सुनी है ? क्या तुमने कभी तनहाइयों से बातें की हैं ?






सोमवार, 2 नवंबर 2009

है तू किस उलझन में? किस ज़द्दोजेहद में गुम है तू?
कौन हूँ मै, क्यो आता हूँ ख्वाबो में तेरे, क्या रिश्ता है मेरा तुझ से?
क्यो खोजती है तू ज़वाब इन सवालो के इस जहाँ में, मुमकिन नही मिल जाए मुझ तक आने का रास्ता इस जहाँ में,
मै एक खुशबू हूँ , मै मोहब्बत हूँ तेरी, मै तो तेरे दिल में बसा एक एहसास हूँ,
तुने देखा था जो सुबह सुबह, मै वो ही हँसी ख्वाब हूँ,
मै मोहब्बत हूँ तेरी, मै तो तेरे दिल में बसा एक एहसास हूँ...


आँखें बंद कर के देख अपनी, नज़र आती है जिसकी शक्ल मै वो ही शक्स ख़ास हूँ,
मै तो खुशबू हूँ तेरी, मै तो तेरे दिल में बसा एक एहसास हूँ,
मै मोहब्बत हूँ तेरी, मै पहली मोहब्बत का वही खुशनुमा एहसास हूँ,
मै मोहब्बत हूँ तेरी, मै तो तेरे दिल में बसा एक एहसास हूँ...






दूर नही मै कभी भी तुझसे, मै तो हर पल तेरे पास हूँ,
बसा हूँ मै तेरे दिल में धड़कने बन कर, मै तो हर कदम तेरे साथ हूँ,
तू मेरी बंदगी है, तू मेरी जिंदगी है, तू मेरी जीने की वजह ख़ास है,
तू धडकनों में बस्ती है मेरी, तेरी खुशबू मेरे लिए जिंदगी का एहसास है,
तू मोहब्बत है मेरी, तू मेरे दिल में बसी जिंदगी का एहसास है,


तेरे दिल मेरी मोहब्बत बसी है, इस बात पर मुझे अपने जिंदा होने से ज्यादा ऐतबार है,
खुदा ने मुझे जिंदगी शायद इस लिए बख्श दी है, के उसकी सबसे नायब चीज को मुझसे प्यार है,
आजा आगोश में मेरी गर तुझे मुझ पर ऐतबार है,
वादा है मेरा हर पल साथ निभाऊंगा, हाथ जो एक बार थमा तेरा, कभी हाथ छुडा कर न जाऊंगा,
मुझे बरसो से बस तेरी ही तलाश है, तू मोहब्बत है मेरी, तू मेरी जिंदगी में जिंदगी का एहसास है





बुधवार, 28 अक्टूबर 2009

किस कायनात से तुम आयी हो

इठलाती सी, बलखाती सी, सबांबों के रंग उडाती सी,
गुलाब की खुशबू की तरह इस फिजा को महकती सी,
अभी भी बचपन हो जैसे दिल में बसा, ऐसी मासूमियत से मुस्काती सी,
छुई मुई को भी अपनी नाजुक छुंअन से लजाती सी,
बाला की, परियो सी खूबसूरती तुम लाई हो,
के न जाने किस कायनात से तुम आयी हो,
जब से देखा है तुमको बस दिल पे तुम्ही छाई हो,
के इतना बता दो हमे किस कायनात से तुम आयी हो...







तुम्हारी आँखें जैसे मैखाना, बिन पिए ही हम पर खुमारी छाई है,
तुम्हारी मुस्कराहट मोतियों सी , मुकुरती हो तो लगता है ये, सारे जहाँ में खुशी छाई हो,
है तुम्हारे चेहरे पर वो नूर, वो हया, वो मासूमियत, जैसे बचपन की मासूमियत किसी ने, ताउम्र दिल में अपने बसाई हो,
खूबसूरती तुम्हारी कुछ ऐसी है, जैसे "ख़ूबसूरत" अल्फाज़ ने भी जहाँ में एक नयी मिसाल पाई हो,
देखा कर तुम्हे ये लगता "खुदा ने बरसो का वक्त ले, बड़े ही फुर्सत से, खूबसूरती की मिसाल बनाई हो",
देख कर तुम्हे यु लगता है, जैसे परियो के जहाँ से कोई परी, इस जहाँ में चली आयी हो,
अब न सताओ, बस इतना बता दो, कहाँ है वो परियों का देश जहा से तुम आयी हो.


के जब से देखा है तुमको कुछ और देखने की ख्वाहिश न रही,
तेरी सूरत इन आंखों में कुछ ऐसी बसी, कुछ और अब इन आंखों को जचता ही नही,
लाख कोशिशें कर चुका, तेरा चेहरा मेरे जेहन से हटाता ही नही,
कह दो की ये सच है, के इस जहाँ में तुम मेरे लिए ही आयी हो,
रुक जाओ मेरी बन कर, या संग अपने मुझे ले चलो वहां, के जिस कायनात से तुम आयी हो,
जब से देखा है तुम्हे, बस तुम्ही मेरे जेहन में छाई हो,
ख़त्म करो मेरी उलझनों का दौर, बस इतना बता दो हमे,के किस कायनात से तुम आयी हो.

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

बुलावा खुदा ने भेजा है

"मेरी रुख्सदगी का तू ऐसा जश्न मानना,
के चाहे मिट जाए मेरी यादों के हर निशाँ ये जहाँ,
पर दिन मेरी रुख्सदगी का दिन सालों याद रखे ये जमाना"



न गम करो मेरे जाने का लोगो, के फ़िर आऊंगा मैं
जाना तो पड़ेगा ही क्योंकि बुलावा उस "खुदा" ने भेजा है,
भला उसके बुलावे को कैसे ठुकराऊंगा मैं,
अभी जाने दो मुझे, पर वडा है मेरा लौट कर ज़रूर आऊंगा मई,


हर एक पल जो जिया हु यहाँ पे, उसे कभी न भूल पाउँगा मैं,
जो हो शिकायत मुझसे अभी ही कर लो, चला गया जो मैं एक बार यहाँ से,
किसी की कोई भी शिकायत दूर न कर पाउँगा मैं,
मुझको कोई भी जल्दी नही जाने, मजबूर हु मई, कुछ भी नही है मेरे हाथो,
क्योंकि, बुलावा खुदा ने भेजा है, चाह कर भी और रुक न पाउँगा मैं,






वो जिनको शिकायत है मुझसे, आना जरूर मेरी मैयत पर,
आ कर मेरी मैयत मेरे मुस्कुराने से, मेरी मैयत पे जी भर मुस्कुरा लेना,
खुश हो लेना ये सोच के खुदा ने तुम्हारी फरियाद सुन ली है,
ईद या दिवाली हो लगे तुम्हारे आशियानों को एक बार ही देख के,
इस तरह मेरी मैयत जाने से पहले, अपने घरो को सजा लेना,
जश्न ऐसा मानना मेरी रुखसत का, के सारा जहाँ रौशन हो जाए,
बाद जाने के मेरे यहाँ से, मेरी यादो के नमो निशाँ मिटा देना,
मेरी साड़ी यादें मेरी चिता के साथ ही जला देना,
मेरी गुजारिश है सब से की एक भी अश्क न बहाना,
गर यु अश्क बहाओगे, तो मुस्कुराते हुए जा न पाउँगा मैं,
समझो कुछ मेरी भी मजबूरी, बुलावा खुदा ने भेजा है, अब रुक न पाउँगा मैं









शनिवार, 29 अगस्त 2009

लगता है प्यासी धरती से जैसे खुदा रूठ गया है

"बस , अब मै और न जी पाऊंगा लड़ लड़ इस जहा के साथ,
आज मेरा लड़ लड़ के गमो से जीने का हौसला टूट गया है"



इस कदर हमसे हमारा हमनवा रूठ गया है,
लगता है प्यासी धरती से जैसे खुदा रूठ गया है,
पूछा बताया ही के क्या है गलती मेरी,
जाने क्यो वो हमसे बे-वजह रूठ गया है...


अब हम मुस्कुराते नही हैं, ये शिकायत करना कोई,
मुझसे मेरी खुशियों का खुदा रूठ गया है,
अचानक, जाने क्यो बोझ सी लगाने लगी है जिंदगी,
ऐसा लगता है मुझसे जीने का हौसला रूठ गया है,
जाने क्यो, युही वो बे-वजह रूठ गया है...

आती थी खुशियाँ संग उसके ही मेरे दर्र तक,
अब भूले से भी गुजरती नही हैं खुशियाँ मेरे दर्र से,
ऐसा लगता है मेरी जिंदगी की सड़क से खुशियों का काफिला रूठ गया है,
वो क्या रूठा हमसे, हमसे ये सारा जहाँ रूठ गया है,
जाने क्यो हर कोई हमसे बे-वजह रूठ गया है...

आसन नही थी कभी भी ये जिंदगी मेरी,
मैंने लड़ के हासिल की है हर खुशी मेरी,
बस अब मई और इस जहाँ से लड़ पाऊंगा,
एक और कदम भी लड़ के आगे बढ़ पाऊंगा,
बस यही खतम होती जिंदगी मेरी, कर दो खाख तमाम जिंदगी मेरी,
मुझसे मेरे जीने का आज हौसला रूठ गया है,
जी पाउँगा एक पल भी मै गमो के साथ, क्योंकि अब मेरा लड़ने का हौसला टूट गया है

सोमवार, 10 अगस्त 2009

हमे ये इल्म नहीं था

वो जिनको शिकायत है के हम बेवजह ही हर पल मुस्कुराते हैं,
कभी नजरिया बदल के तो देखिएगा, आप को भी इल्म हो जाएगा,
के कितनी खूबसूरती से हम अपना हर गम इस जहाँ से छुपाते हैं


किसी परियों की कहानी की तरह वो इक दिन हमे मिल जायेंगे ये, इल्म नही था,
किसी अनजान को बेपनाह हम चाहेंगे ये इल्म नही था,
हम भी कभी किसी से अपना दिल ये लगायेंगे ये इल्म नही था,
इस दिल में किसी को धडकनों की तरह बसायेंगे ये इल्म नही था,
के किसी के इश्क में हम ख़ुद को भूल जायेंगे ये इल्म नही था,
के कोई होगा इस जहाँ में कोई हमरा भी हमसफ़र,
किसी को हम अपना खुदा बनायेंगे कभी भी हमको इसका इल्म नही था,


के वोः हमारी सांसो में हमारी रूह में बस जायेंगे,
गर्र आखिएँ बंद भी कर लू तो वोः ही नज़र आयेंगे,
के वोः हमारे रोम रोम में बस जायेंगे,
के गर कोई नाम हमारा पूछेगा, तो हम नाम उनका बताएँगे,
के इस कदर हम दीवाने हो जायेंगे, हमको कभी ये इल्म नही था,


के कभी किसी नाजनीन, किसी महजबीं को हम अपना कह पाएंगे,
के वो हमारी जिंदगी का न जाने कब हर पल बन जायेंगे,
के कब वो हमारी धडकनों की वजह बन जायेंगे, के उनके बगैर हम साँस भी न ले पाएंगे,
के ये दिल की लगी क्या चीज है, कभी हम समझ पाएंगे ये हमे इल्म नही था,
के एक पल में हम कभी एक उम्र जी जायेंगे कभी भी हमको ये इल्म न था,
के जिंदगी में हमारी ऐसे खुशनुमा दिन भी आयेंगे, ये हमे इल्म नही था…


सारे रंग हमारे गुलशन के बारिश की एक बूंद से बह जायेंगे,
मेरे खवाबो के गुलिस्तान को वो एक पल में ही शहर कर जायेंगे, हमे ये इल्म नही था…
के वो जिन्होंने वादा किया था मेरा हर गम मिटा देने का, वो हमारी आखों में लहू के अश्क दे जायेंगे,
के हर पल हमारे संग मुस्कुराने वाले, एक दिन हमारे संग ये खेल भी खेल जायेंगे ये हमे इल्म नही था…

पास आकर वो उन दूर जायेंगे, हम उनकी खातिर खुदा से बेगाने हो जायेंगे,
के जान तो नही लेंगे वो कभी भी हमारी, पर हर हमे हमारी सांसों के लिए तद्पयेंगे,
के इतनी आसानी से वो हमे भूल जायेंगे ये इल्म नही था, के हम उन्हें कभी भी न भूल पाएंगे,
के दिल तोड़ के वो हमारा हर पल मुस्कुराएंगे, और हम कभी दिल से मुस्कुरा न पाएंगे,
के हम इश्क के नाम से भी खौफज़दा हो जायेंगे, के जीते जी हम एक जिंदा लाश बन जायेंगे,
दिल तोड़ के वो हो जायेंगे अपनी दुनिया में मशरूफ, और कभी भी इस जहाँ के अब दुबारा न हो पाएंगे,
के हम वो हर किसी के वोः हर पल दिल से मुस्कुराने वाले “Ravish” न रह जायेंगे,
के हम कभी भी अब किसी से दिल लगाने की हिम्मत न जुटा पाएंगे, ये हमे इल्म नही था
के हम कभी भी वोः इंसान न रह जायेंगे, के दिल लगते वक्त हमे ख्वाबों में भी इस बात का इल्म नही था…
के हम इस कदर बदल जायंगे ये इल्म नही, के उन्हें प्यार कर के हम कुछ और ही हो जायेंगे हमे ये इल्म नही था,
के अब हम कभी भी ख़ुद को न बदल पाएंगे हमे कभी भी इस बात का इल्म नही था…



शनिवार, 1 अगस्त 2009

जब भी वो तन्हा होंगे, वो हमारे बारे में सोचते होंगे

जब भी वो तन्हा होंगे, वो हमारे बारे में सोचते होंगे,
मेरी आंखों में अश्क होंगे, और उनका दामन भीगा होगा,
कोई मेरे होठो को छू कर गुजरा है, ज़रूर उसकी खुशबू का झोंका होगा,
ज़र्रा ज़र्रा हूँ मै ना जाने कब से, वो भी पल पल बिखरा होगा,



आज क्यों ये भी मौसम बरसात हो रही है ?
लगता है मेरी याद में वो जी भर कर रोया होगा...

इक ज़माना हो गया आज मुझे उसकी सूरत देखे,
आँखें लगाये दरवाजे पर, वो शायद हर पल हमारा ही रास्ता देखता होगा...

सोमवार, 27 जुलाई 2009

मेरी जिंदगी एक खुली किताब सी है,

मेरी जिंदगी एक खुली किताब सी है, मैंने अपना हर राज़ अपने चेहरे और अपनी आखो में छुपाया,
कोशिशें तो कई लोगो ने, पर अब तक कोई मेरी चेहरे के इस लिखे को समझ नही पाया है,
इस ज़हान में जाना हर किसी ने, मेरे बारे में जन सिर्फ़ वो ही और उतना ही है, जो कुछ मैंने यहाँ सबको बताया है


मै भला हु या हु बुरा, ये किसी को क्या मालूम,
वो तो समझे मेरे बारे में बस उतना ही हैं जितना उनको हर किसी ने बताया है,
हर एहसास जो उनकी खातिर मेरे दिल में हैं, वो मेरी नजरों में देखते हैं,
नज़रें तो मिलाई हैं कई बार उसने, पर न मेरे एहसासों को क्यो वो समझ पाया नही,

चाहा तो उसे ताउम्र हमने, हाँ पर कभी अल्फाजों में उसे ये बताया नही,
मेरी जिंदगी तो एक खुली किताब सी थी, न जाने इसके लिखे को वो भी क्यो समझ पाया नही,
वो एक बात जो सच है सबसे बड़ा मेरी जिंदगी का, वो भी नही समझा क्योंकि हमने कभी उसे समझाया नही,
चाहत को उसकी दिल में सम्हाले रखा, चाहते हैं तुम्हे ये कभी बेपनाह हम, कभी जुबां से उसको बताया नही....


सोमवार, 29 जून 2009

के जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया...

जीने की चाह ने हँसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों को अपनी पहचान बना लिया,
हम तो गए थे मौत के दर्र पे उसे गले लगाने की खातिर,
पर जब मौत हमसे मिलने आयी, तो उसने हमे जिंदगी का रास्ता बता दिया,
मौत ने कहा तन्हा नही है तू, ले आज से संग तेरे हर पल ये मुस्कुराहट भी है,
मैंने मुस्कुराहटों को ही अपनी पहचान बना लिया,
शिकायत जहाँ में सब को है मेरी मुस्कुरातो से,
पर मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया,
वजह तो हर किसी की होती है अपनी अपनी जीने की,
पर हमने मुस्कुराहटों को भी अपने जीने की एक वजह बना लिया,
मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया,
जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, तन्हा न हो जाऊ इस ज़माने में कही मई,
इसलिए मैंने ख़ुद की मुस्कुराहटों को अपनी महबूबा बना लिया...



करीब मेरा जो कोई मेरा गम भी कभी तो मैंने उस गम को भी हसना सिखा दिया,
"न पूछो हमसे के हसी कैसी खुशी कैसी, मुसीबत सर पे रहती है कभी कैसी कभी कैसी"
गमो की ठंडी छो को हमने सर पर सजा लिया, गुमो की छो के टेल हमने आशियाना बना लिया,
बेवफाई तो हमसे जिंदगी में हर खुशी ने की है, इसलिए मैंने मुस्कुराहटों (गमो) को ही अपना हमसफ़र बना लिया...

के जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया...

खुदा ने हमे ऐसा ना जाने क्यो बनाया ही नही

कभी गर चाहा भी किसी को तो बताया ही नही,
किसी ने हमे अपने दिल में बसाया ही नही,
कभी किसी को आए हमारी भी याद,
खुदा ने हमे ऐसा ना जाने क्यो बनाया ही नही

रविवार, 14 जून 2009

ना जाने क्यों दिल ये मेरा बेकरार है

ना जाने क्यों आज ये मेरा दिल बेकरार है , ना जाने दिल पे छाया ये कैसा खुमार है,
फिर दिल को न जाने क्यों तेरी पायल की छम-छम का इन्तेजार है, तू ही बता मुझे क्यों ये तड़पता है,
क्यों रहता बेकरार है,तू ही बता दे मुझे, के कैसा ये खुमार है


वैसे तो सब कुछ है मेरे पास, पर लगता है के कुछ भी नही है,
कहने को तो सारा जहाँ है मेरे साथ, पर तेरी कमी सी है,
तेरी याद में रुक गया है मेरा जहाँ, और मेरी साँसे थमी सी हैं,
हर दावा से दुआ से बढ़ता जाता, न जाने यह कैसा बुखार है,
तू ही बता दे मुझे, के कैसा ये खुमार है




तू नही है मेरे नज़रों के सामने, पर बस तू ही एक मेरे नज़रों में बसी है,
दूर तक निशान नही है तेरा, पर फिजा में तेरी ही खुशबु बसी है,

तू दूर हैं मुझसे, इसका इल्म मुझे भी है, पर दीवानी यह मेरी आखें हर पल तुझे ही देखती हैं,
और ये पागल दिल कहता है मेरा, के तू धड़कन बन के इस दिल में बसी है,





तेरा दीदार न हो तो रहती हैं मेरी आखें सुनी, और रहता यह दिल बेकरार है,तुही बता दे मुझे के यह कैसा खुमार है,

रात भर करवटों पे करव्तानें बदलता हूँ, रहता साड़ी रात बेकरार हूँ,
साड़ी रात जगता हूँ, तेरी याद करता हूँ, और करता नीद का इन्तेजार हूँ,
तू ही बता मुझे के क्यों मैं तेरी खातिर मैं इतना बेकरार हूँ,

बाहर का मौसम खुश्क है, पर मेरी आखों में नमी सी है,
जहाँ कहता है के मैं जिंदा हूँ, पर मुझे अहसास है के मेरी सांसे थमी सी हैं,
इकरारे मोह्हबत में तू अब और देर न कर, आ अपनी आगोश में ले मुझे,
और जिंदगी बसर करने दे मुझे अपने चिलमन के तले,




क्योंकि तेरे साथ बसर करने को मेरे पास सांसो और वक्त की कमी सी है,
खुदा की इसी रहमत पे मेरा दिल जार-जार है, तुही बता दे मुझे के कैसा यह खुमार है,

अब लाज का दमन छोड़ भी दे, इस जहाँ के बंधन तोड़ भी दे,
गर तू इतना घबराएगी-शर्माएगी, हो गया गर मैं फ़ना तो ता-उम्र पछताएगी,

शर्म-हया सब छोड़ के आ, इस जहाँ के बंधन तोड़ के आ, दो जिस्म एक जान हो जाने दे,
सारा जहाँ जो भी कहे आ एक दूजे में खो जाने दे, भूल के इस जहाँ को आ ख़ुद को एक दूजे का हो जाने दे,

अब न कर देर आ भी जा मेरी आगोश, क्योंकि मेरी रूह तेरी चूँ की तल्फ्गर है,
पयसा हूँ कई जन्मों से, मेरे होठ तेरे गुलाब से इन होठों की छुं को बेकरार हैं,

है वास्ता तुझे तेरे खुदा का, बता दे मुझे यह कैसा खुमार है,सारा जहाँ कहता है, पर यकीन मुझको आता नही,

अब तू ही बता दे मुझे क्या इसी का नाम प्यार है?





मंगलवार, 9 जून 2009

love's a many splendid thing

love's a many splendid thing,
love lifts us where be belong to, all we need is love.

love takes you away from this world, love makes you of this world,
love teaches you the important of being lonely,
love teaches you what does it means to be with someone....

with love, you learn more about the "Joy"
with love, you learn how to enjoy,

no wonder not everybody has love....
but if you are the privileged one, do take care of your love..
because when it is not there you'll miss a lot, and there is no way to get it back....

people say love is blind

people say love is blind,
but I say, love can see the things, that eyes fails to see,
loves makes you so strong that you can see beyond the visual limit.

love makes you feel happy in every situation,
for love every season is spring,
and when one falls in love he/she starts loving everything.



love makes you lovely, love makes you go bubbly.

love is like air, we can't see it, we can't test it.
but then, we can't live without it...




if you are not in love, you are missing air of your life,
fall in love once, and see what life can be...

सोमवार, 25 मई 2009

मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है


"के बहुत याद आता है वो बचपन मुझे , करना बहाने हर बार
वो लड़ना हर बात पे, वो होली दिवाली वो हसी ठिठोली ,
वो दोस्तों के साथ स्कूल से भाग जन, वो अगले दिन मार खाना,
वो क्रिकेट के matches , वो दोस्तों के अपने-अपने batches,
वो हम भाई-बहनों का करना मार, फिर जी भर के एक दुसरे से दिखाना प्यार,
वो छोटे से पिल्लै पे दिखाना दुलार, वो उसकी की खातिर सुनना बाते बार-बार,
वो छोटे भाई की खातिर करना अपने जिगरी यार से मार,


क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है

वो माँ के हाथ की पहली रोटी खाने की खातिर लड़ना, वो पहली रोटी न मिलने पर बहेना का घर में मचाना घमासान,
वो रह रोटी में बस उनका प्यार, वो खाना फेकने पर सुनना बातें चार :),
वो सुखी रोटी में भी गाजर की हलवे सा मज़ा, वो बहार खाना खाने को समझना सज़ा (होटल के खाने मिर्ची ज्यादा होती थी न :) )
वो माँ से करना dishes की डिमांड, वो मेरी खातिर वो बनानें, को वो माँ की दिन रात की मेहनत यार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, मुझे माँ की हर रोटी का प्यार याद आता है


वो सरे फॅमिली मेम्बेर्स का एक साथ खाना खाना,
वो करना दुनिया भर की बातें, वो थाली में गोभी की खातिर लड़ना,
वो इस लडाई के भी हर लम्हे हसना बार बार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे बहुत याद आता है हम सब का प्यार
काश के खुदा दे दे वो दिन फ़िर से एक बार,


वो देखना मोहब्बतें अपने दोस्तों और अपनी classmates के साथ,
वो पत्तों पे भेजना उनको वैलेंटाइन मेसेज, वो इस कंजूसी में दिखाना प्यार,
वो करना पार्टी उसकी हाँ पे, वो रोना दोस्तों से गले लग के गर मिली किसी को इनकार,




क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे बहुत याद आता वोः मेरा पहला, वो इन्नोसेंट सा प्यार,

"के मई अपने अश्क भेज नही सकता इन अल्फाजो में,बस एक बार समझ के देखो के क्या कहते हैं ये यार"..




के याद आता है स्कूल छोड़ के भाग जन, अगले दिन टीचर से बनाना बहाना,
याद आता है डंडे से खाना मार, दोस्तों के संग मिल के इस पे भी खुश होना यार,
















"हमारी क्लास में एक रुले था के जो बंद सबसे ज्यादा डंडे खता था कोचिंग में,
उस बाकी सरे लोग मिल के समोसा खिलते थे, खैर मै maximum टाइम खाने वालो में रहा हु ;) "


के याद आता है वो दोस्तों का प्यार, वो बिन बात के क्लास की लड़कियों से तकरार,
याद आता उनको मानाने की खातिर उनके नोट्स लेना उधर, और फ़िर नोट्स के पीछे सॉरी लिख के देना यार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है...

वो दोस्त की जिद्द पे उनके घर के चक्कर लगना, वो उसकी खातिर गुलाब के फूल चोरी कर लाना,
वो उसके बड़े भाई से जम के मार खाना, पड़ी मार तो उसका गम नही था हमे , खुसी हुयी थी देख के उनका अश्क बहाना...


याद आता है वो जल्दी से कोचिंग जाना, वो उनके सामने की row पर जम कर बैठ जन,
वो बोर्ड से ज्यादा देना उनके चेहरे पे ध्यान, वो हमारे गुरूजी का बजाना "दे धडाम !!!"...
वो क्लास में हमारा जुल्फें उड़ना, वो सारे बन्दों का हर दिन जुल्फों में नया नया डिजाईन बनाना,
हमारा वो हमारे टकलू सर को जम कर चिदहना, वो बेवजह ही उनका बीपी बढ़ाना,
वो गुरीजी का डंडे की नोक पे, हम सब का "दिल चाहता है" कट कटना,
वो इन "चूहे खा गए हो जैसे बालो को" हेयर स्टाइल में girls स्कूल के दो राउंड ट्रिप लगना...
क्या क्या बताऊ के मुझे याद अत है, वो उन सुंदर कुडियों का हमे देख कर मुस्कुराना बहुत याद आता है,
के इतने बुरे दिखने पर भी वो सबकी बात का बन जन याद आता है....




क्या क्या बताऊ के मुझे याद आता है, के स्कूल लाइफ की लास्ट इयर का हर दिन मेरे खयालो में अब तक आता है,
हर लम्हा जो गुर्जा था संग उनके, मुझे वो हर लम्हा याद आता है,
चाहे तो आज हर कोई हो दूर मुझसे, पर उन पालो की यादें आज भी मेरे दिल में ताजा हैं...













बुधवार, 20 मई 2009

रेत मे कोई फूल खिले एक ज़माना बीत गया

आज ही मैं सब बातें मन की पानी पे लिख आऊँगी,
रेत में कोई राज़ बहाए एक ज़माना बीत गया,
चलो तुम्हारा नाम लिखें, सागर के किनारे साहिल पर,
रेत मे कोई फूल खिले एक ज़माना बीत गया

सोमवार, 11 मई 2009

कैसे टुटा शीशा???

सवाल ये नही के कैसे टुटा शीशा, सवाल ये नही के कितने टुकडो में टुटा शीशा,
सवाल ये भी नही के क्यों टुटा शीशा, सवाल तो ये है के पत्थर किधर से आया...?

शुक्रवार, 8 मई 2009

क्या है इतने गहरे समंदर में?

क्या है इतने गहरे समंदर में ?
कभी कस्ती, कभी तूफ़ां, कभी लहरें, कभी उनकी मस्ती, समंदर में;
कई यादें, कई आंसू, कई चहरे समंदर में.
आज तक कौन समझा है की क्या है इतने गहरे समंदर में,


शायद खुद समंदर भी नहीं??









मंगलवार, 5 मई 2009

लम्हा लम्हा इन्तेजार


लम्हा लम्हा तन्हा रहे, हम उनके इन्तेजार में,
लम्हा लम्हा किया इन्तेर्जार उनके इन्तेजार में,
लम्हा लम्हा उठाया लुफ्त इन्तेजार का उनके इन्तेजार में,
न जाने किस लम्हा बनी महबूबा मेरी ये इन्तेजार, उनके इन्तेजार में,
लम्हा लम्हा हम अब इस इस इन्तेजार से प्यार करते हैं,
लम्हा लम्हा हम अब उनके न आने का इन्तेजार करते हैं...





सोमवार, 4 मई 2009

जामने के जी में क्या है

कभी हमे पागल कभी दीवाना बता दिया,
न जाने इस जहाँ में सबके जी में क्या है,
कभी मेरे नगमों को अश्क,
तो कभी मेरे अश्कों को नगमा बना दिया





क्या बात करे

कुछ फिजा, कुछ हवा, कुछ अपनी अदा की बात करो,
आज जी कुछ सुनना चाहता है, जो जी में आए वो बात करो





शनिवार, 2 मई 2009

मोहब्बत क्या है

जब किसी के खुशियाँ किसी की मुस्कान बन जायें,
जब किसी की चाहतें, किसी का अरमान बन जायें,
बेपनाह, बे-इंतहां, मोहब्बत, है किसी के दिल में तुम्हारे लिए ये समझ लेना,
जब तुम्हारी सांसे, किसी और की जान बन जायें...





के हम बस उनकी जिन्दगी की खातिर जिये जा रहे हैं

जिंदगी का सफर हम किए जा रहे हैं, न जाने क्यो तन्हा सुनी राहों पे चले जा रहे हैं,
न जाने क्यो जिंदगी को सहरा किये जा रहे हैं, न जाने क्यो बे मन हम जिये जा रहे हैं,
नही आयेंगे वो, ऐतबार हमको भी है, फिर भी न जाने क्यो हम उनका इन्तेजार किए जा रहे है
ये न सोचना ये के मौत का डर है हमे, हो न जाए उन्हें कुछ, कही हमारे जाने के बाद ,
के हम बस उनकी जिन्दगी की खातिर जिये जा रहे हैं

शुक्रवार, 1 मई 2009

गर इतनी हसीं और खुशनुमा मेरी मौत हैं, तो मुझे जिंदगी नही चाहिए

एक दिन खुदा ने मुझसे कहा, के तेरी जिंदगी बस कुछ पल की है,
पर वो आएगी तेरे आगोश में बस एक पल के लिए ,

मैंने खुदा से कहा, "उस एक पल से ज़्यादा, मुझे जिंदगी नही चाहिए",

खुदा ने कहा, तेरी आगोश में आ के उनके होटो पे आएगी मुस्कुराहटें बेपनाह,
मैंने खुदा से कहा "मुझे और कोई खुशी नही चाहिए"

खुदा ने कहा ओ नादान, संग उसके हो कर, इस जहाँ में तू हो जाएगा तन्हा,
मैंने खुदा से कहा "गर वो हैं संगे मेरे मेरी आखरी साँस तक तो, मुझे कोई और साथी नही चाहिए"

खुदा ने कहा, के गर वो आएगी तेरे पास, तो तुझे एक बूँद पानी भी नसीब नही होगा,
मैंने खुदा से कहा, "बस मेरी आखरी साँस तक वो साथ हों मेरे, इस ४ पल की जिंदगी में जीने के लिए, मुझे कुछ और नही चाहिए",

खुदा से रहा न गया, उन्होंने फ़िर कहा, "अरे ओ नादान 'वो आएगी तेरी पहलु में तेरी मौत बन कर'"
मैंने कहा "गर इतनी हसीं और खुशनुमा मेरी मौत हैं, तो मुझे जिंदगी नही चाहिए"