सोमवार, 25 मई 2009
मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है
"के बहुत याद आता है वो बचपन मुझे , करना बहाने हर बार
वो लड़ना हर बात पे, वो होली दिवाली वो हसी ठिठोली ,
वो दोस्तों के साथ स्कूल से भाग जन, वो अगले दिन मार खाना,
वो क्रिकेट के matches , वो दोस्तों के अपने-अपने batches,
वो हम भाई-बहनों का करना मार, फिर जी भर के एक दुसरे से दिखाना प्यार,
वो छोटे से पिल्लै पे दिखाना दुलार, वो उसकी की खातिर सुनना बाते बार-बार,
वो छोटे भाई की खातिर करना अपने जिगरी यार से मार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है
वो माँ के हाथ की पहली रोटी खाने की खातिर लड़ना, वो पहली रोटी न मिलने पर बहेना का घर में मचाना घमासान,
वो रह रोटी में बस उनका प्यार, वो खाना फेकने पर सुनना बातें चार :),
वो सुखी रोटी में भी गाजर की हलवे सा मज़ा, वो बहार खाना खाने को समझना सज़ा (होटल के खाने मिर्ची ज्यादा होती थी न :) )
वो माँ से करना dishes की डिमांड, वो मेरी खातिर वो बनानें, को वो माँ की दिन रात की मेहनत यार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, मुझे माँ की हर रोटी का प्यार याद आता है
वो सरे फॅमिली मेम्बेर्स का एक साथ खाना खाना,
वो करना दुनिया भर की बातें, वो थाली में गोभी की खातिर लड़ना,
वो इस लडाई के भी हर लम्हे हसना बार बार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे बहुत याद आता है हम सब का प्यार
काश के खुदा दे दे वो दिन फ़िर से एक बार,
वो देखना मोहब्बतें अपने दोस्तों और अपनी classmates के साथ,
वो पत्तों पे भेजना उनको वैलेंटाइन मेसेज, वो इस कंजूसी में दिखाना प्यार,
वो करना पार्टी उसकी हाँ पे, वो रोना दोस्तों से गले लग के गर मिली किसी को इनकार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे बहुत याद आता वोः मेरा पहला, वो इन्नोसेंट सा प्यार,
"के मई अपने अश्क भेज नही सकता इन अल्फाजो में,बस एक बार समझ के देखो के क्या कहते हैं ये यार"..
के याद आता है स्कूल छोड़ के भाग जन, अगले दिन टीचर से बनाना बहाना,
याद आता है डंडे से खाना मार, दोस्तों के संग मिल के इस पे भी खुश होना यार,
"हमारी क्लास में एक रुले था के जो बंद सबसे ज्यादा डंडे खता था कोचिंग में,
उस बाकी सरे लोग मिल के समोसा खिलते थे, खैर मै maximum टाइम खाने वालो में रहा हु ;) "
के याद आता है वो दोस्तों का प्यार, वो बिन बात के क्लास की लड़कियों से तकरार,
याद आता उनको मानाने की खातिर उनके नोट्स लेना उधर, और फ़िर नोट्स के पीछे सॉरी लिख के देना यार,
क्या, क्या बताऊ के याद आता है, के मुझे मेरा बचपन बहुत याद आता है...
वो दोस्त की जिद्द पे उनके घर के चक्कर लगना, वो उसकी खातिर गुलाब के फूल चोरी कर लाना,
वो उसके बड़े भाई से जम के मार खाना, पड़ी मार तो उसका गम नही था हमे , खुसी हुयी थी देख के उनका अश्क बहाना...
याद आता है वो जल्दी से कोचिंग जाना, वो उनके सामने की row पर जम कर बैठ जन,
वो बोर्ड से ज्यादा देना उनके चेहरे पे ध्यान, वो हमारे गुरूजी का बजाना "दे धडाम !!!"...
वो क्लास में हमारा जुल्फें उड़ना, वो सारे बन्दों का हर दिन जुल्फों में नया नया डिजाईन बनाना,
हमारा वो हमारे टकलू सर को जम कर चिदहना, वो बेवजह ही उनका बीपी बढ़ाना,
वो गुरीजी का डंडे की नोक पे, हम सब का "दिल चाहता है" कट कटना,
वो इन "चूहे खा गए हो जैसे बालो को" हेयर स्टाइल में girls स्कूल के दो राउंड ट्रिप लगना...
क्या क्या बताऊ के मुझे याद अत है, वो उन सुंदर कुडियों का हमे देख कर मुस्कुराना बहुत याद आता है,
के इतने बुरे दिखने पर भी वो सबकी बात का बन जन याद आता है....
क्या क्या बताऊ के मुझे याद आता है, के स्कूल लाइफ की लास्ट इयर का हर दिन मेरे खयालो में अब तक आता है,
हर लम्हा जो गुर्जा था संग उनके, मुझे वो हर लम्हा याद आता है,
चाहे तो आज हर कोई हो दूर मुझसे, पर उन पालो की यादें आज भी मेरे दिल में ताजा हैं...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
koi louta de mere beete huye din. narayan narayan
जवाब देंहटाएंWell said.
जवाब देंहटाएंआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है । लिखते रहीये हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंaapki behtareen rachna mujhe mera bachpan yaad dila gayi
जवाब देंहटाएंबेहतर है श्रीमान...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.....