ना जाने क्यों आज ये मेरा दिल बेकरार है , ना जाने दिल पे छाया ये कैसा खुमार है,
फिर दिल को न जाने क्यों तेरी पायल की छम-छम का इन्तेजार है, तू ही बता मुझे क्यों ये तड़पता है,
क्यों रहता बेकरार है,तू ही बता दे मुझे, के कैसा ये खुमार है
वैसे तो सब कुछ है मेरे पास, पर लगता है के कुछ भी नही है,
कहने को तो सारा जहाँ है मेरे साथ, पर तेरी कमी सी है,
तेरी याद में रुक गया है मेरा जहाँ, और मेरी साँसे थमी सी हैं,
हर दावा से दुआ से बढ़ता जाता, न जाने यह कैसा बुखार है,
तू ही बता दे मुझे, के कैसा ये खुमार है
तू नही है मेरे नज़रों के सामने, पर बस तू ही एक मेरे नज़रों में बसी है,
दूर तक निशान नही है तेरा, पर फिजा में तेरी ही खुशबु बसी है,
तू दूर हैं मुझसे, इसका इल्म मुझे भी है, पर दीवानी यह मेरी आखें हर पल तुझे ही देखती हैं,
और ये पागल दिल कहता है मेरा, के तू धड़कन बन के इस दिल में बसी है,
तेरा दीदार न हो तो रहती हैं मेरी आखें सुनी, और रहता यह दिल बेकरार है,तुही बता दे मुझे के यह कैसा खुमार है,
रात भर करवटों पे करव्तानें बदलता हूँ, रहता साड़ी रात बेकरार हूँ,
साड़ी रात जगता हूँ, तेरी याद करता हूँ, और करता नीद का इन्तेजार हूँ,
तू ही बता मुझे के क्यों मैं तेरी खातिर मैं इतना बेकरार हूँ,
बाहर का मौसम खुश्क है, पर मेरी आखों में नमी सी है,
जहाँ कहता है के मैं जिंदा हूँ, पर मुझे अहसास है के मेरी सांसे थमी सी हैं,
इकरारे मोह्हबत में तू अब और देर न कर, आ अपनी आगोश में ले मुझे,
और जिंदगी बसर करने दे मुझे अपने चिलमन के तले,
क्योंकि तेरे साथ बसर करने को मेरे पास सांसो और वक्त की कमी सी है,
खुदा की इसी रहमत पे मेरा दिल जार-जार है, तुही बता दे मुझे के कैसा यह खुमार है,
अब लाज का दमन छोड़ भी दे, इस जहाँ के बंधन तोड़ भी दे,
गर तू इतना घबराएगी-शर्माएगी, हो गया गर मैं फ़ना तो ता-उम्र पछताएगी,
शर्म-हया सब छोड़ के आ, इस जहाँ के बंधन तोड़ के आ, दो जिस्म एक जान हो जाने दे,
सारा जहाँ जो भी कहे आ एक दूजे में खो जाने दे, भूल के इस जहाँ को आ ख़ुद को एक दूजे का हो जाने दे,
अब न कर देर आ भी जा मेरी आगोश, क्योंकि मेरी रूह तेरी चूँ की तल्फ्गर है,
पयसा हूँ कई जन्मों से, मेरे होठ तेरे गुलाब से इन होठों की छुं को बेकरार हैं,
है वास्ता तुझे तेरे खुदा का, बता दे मुझे यह कैसा खुमार है,सारा जहाँ कहता है, पर यकीन मुझको आता नही,
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