सोमवार, 29 जून 2009

के जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया...

जीने की चाह ने हँसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों को अपनी पहचान बना लिया,
हम तो गए थे मौत के दर्र पे उसे गले लगाने की खातिर,
पर जब मौत हमसे मिलने आयी, तो उसने हमे जिंदगी का रास्ता बता दिया,
मौत ने कहा तन्हा नही है तू, ले आज से संग तेरे हर पल ये मुस्कुराहट भी है,
मैंने मुस्कुराहटों को ही अपनी पहचान बना लिया,
शिकायत जहाँ में सब को है मेरी मुस्कुरातो से,
पर मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया,
वजह तो हर किसी की होती है अपनी अपनी जीने की,
पर हमने मुस्कुराहटों को भी अपने जीने की एक वजह बना लिया,
मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया,
जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, तन्हा न हो जाऊ इस ज़माने में कही मई,
इसलिए मैंने ख़ुद की मुस्कुराहटों को अपनी महबूबा बना लिया...



करीब मेरा जो कोई मेरा गम भी कभी तो मैंने उस गम को भी हसना सिखा दिया,
"न पूछो हमसे के हसी कैसी खुशी कैसी, मुसीबत सर पे रहती है कभी कैसी कभी कैसी"
गमो की ठंडी छो को हमने सर पर सजा लिया, गुमो की छो के टेल हमने आशियाना बना लिया,
बेवफाई तो हमसे जिंदगी में हर खुशी ने की है, इसलिए मैंने मुस्कुराहटों (गमो) को ही अपना हमसफ़र बना लिया...

के जीने की चाह ने हसना सिखा दिया, मैंने मुस्कुराहटों के पीछे हर गम छुपा लिया...

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