बुधवार, 24 मार्च 2010

मुझे बस थोडा सा आसमान चाहिए

मुझे बस  थोडा  सा  आसमान  चाहिए,
ले  सकूँ  मै  जिस  में  खुलकर  सासें ,   मुझे  ऐसा  खुला  खुला  सा  जहां चाहिए ,
मुझे  बस  थोडा  सा  आसमान  चाहिए,







न  हो  बंधन  जहा  जाति , धर्म , रंग  और  मजहब  का  मुझे  ऐसा  एक  जहां  चाहिए ,
जहाँ  न  हो  कोई  छोटा न कोई  बड़ा , मुझे  एक  ऐसा   जहाँ  चाहिए , मुझे  बस  थोडा  सा  आसमान  चाहिए



नहीं  चाहिए  मुझे  यह  ज़मीन  पर  इंसानों  के  लिए  खिची  लकीरें ,
न  मुझे  इस  जहां  में  कोई  बटवारा  चाहिए , मुझे  ऐसे  हर  बटवारे  से  छुटकारा  चाहिए ,
मिल   सके  अगर  मुझको  एक  बार  जो  फिर  से , तो  मुझे  खुल  के  जीने  का मेरा हक  दुबारा  चाहिए ...

उस  उपरवाले  ने  जैसा  सौंपा  था  तुमको ,
वैसे  ही  हरा  भरा , हँसता  हुआ  सा  महकता  हुआ  सा  जहाँ  चाहिए ,
मुझे  मेरा  खुला  खुला  सा  आसमान  चाहिए , मुझे  मेरा  जहाँ  चाहिए...

आगे  अभी   और  भी  है ... (to be continued)