मुझे बस थोडा सा आसमान चाहिए,
ले सकूँ मै जिस में खुलकर सासें , मुझे ऐसा खुला खुला सा जहां चाहिए ,
मुझे बस थोडा सा आसमान चाहिए,
न हो बंधन जहा जाति , धर्म , रंग और मजहब का मुझे ऐसा एक जहां चाहिए ,
जहाँ न हो कोई छोटा न कोई बड़ा , मुझे एक ऐसा जहाँ चाहिए , मुझे बस थोडा सा आसमान चाहिए
नहीं चाहिए मुझे यह ज़मीन पर इंसानों के लिए खिची लकीरें ,
न मुझे इस जहां में कोई बटवारा चाहिए , मुझे ऐसे हर बटवारे से छुटकारा चाहिए ,
मिल सके अगर मुझको एक बार जो फिर से , तो मुझे खुल के जीने का मेरा हक दुबारा चाहिए ...
उस उपरवाले ने जैसा सौंपा था तुमको ,
वैसे ही हरा भरा , हँसता हुआ सा महकता हुआ सा जहाँ चाहिए ,
मुझे मेरा खुला खुला सा आसमान चाहिए , मुझे मेरा जहाँ चाहिए...
आगे अभी और भी है ... (to be continued)
बढिया प्रस्तुति.
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