रविवार, 4 अक्तूबर 2015

ज़िंदगी की कहानी

 
 
 
 
 
 
ज़िंदगी की बस यही इतनी सी कहानी है, ज़िंदगी बीत जाएगी एक दिन, पीछे बस यादें छूट जानी हैं,
ज़िंदगी की यही बस इतनी सी कहानी है।
ज़िंदगी का अजीब ये फ़लसफ़ा है, बेहद दिलचस्प इसकी बयानी है,
कभी खुशियां हैं बेशुमार, मुस्कुराहटें हैं होंठों पे और मौंजो की रवानी है,
तो  कभी गम हैं जानलेवा, अश्क़ हैं, और बेइन्तहां दर्दों में कई दिन और रातें बीत जानी हैं,
थोड़ी अजीब तो है, पर कुछ ऐसी ही ज़िंदगी की कहानी है।

शनिवार, 1 मार्च 2014

मुझे हर पल बस तेरा ही खय़ाल है



मैं तुझसे कहूँ या ना कहूँ, तुझे तो मालूम है, के मेरा क्या हाल है,
मेरे ख्वाबों पे हुकूमत है बस तेरी, तुझ से ही मेरा ये रंग-ए-जमाल है,
मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥


जब सोचता हूँ तेरे बारे में, मैं यूँ ही बेवजह मुस्कुराता हूँ,
जब सोचूं तेरे बारे में,  कुछ और सोच नहीं पता हूँ।
तुझसे इक पल कि इस  दुरी से ही देख  हाल मेरा बेहाल है,
मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥



मैं चाहता हूँ कह दूँ, कि तुही मेरी ज़िंदगी है,
पर अल्फ़ाज़ों में कह न सकूंगा के तुझसे ही जुडी मेरी हर ख़ुशी है,
ज़ज्बातों कि बात और है, उनकी तो सुनता कोई नहीं है,
पर तुझे तो मालूम है कि अल्फ़ाज़ों से मेरी कभी बनी नहीं है,
बड़ी उलझन में हूँ, कैसे कहूं कि तेरी याद में मेरा हाल बेहाल है,
बिन कहे ही समझ जाना तू, कि, मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ,
मुझे हर पल बस तेरा ही ख्याल है, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥


सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

देखी है मैंने एक नन्ही सी परी


मैंने बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं है, पर आज मेरी एक खास ख़ुशी शेयर करने के लिए २ पंक्तियां लिख रहा हु।


मेरी प्यारी भांजी के नाम :

देखी है मैंने एक नन्ही सी  परी, 
फूलों सी  नाजुक, एक नन्ही कली सी,
देखी है मैंने एक नन्ही सी परी।

जिसे देखते ही मेरी आँखों में चमक सी आ गयी, 
एक ही पल में मुझे कितने बचपन दिखा गयी,
ऐसा लगता है आसमान से उतर के परी आ गयी।
कलियों से भी नाजुक, मासुमियत से भरी,
देखि है मैंने एक नन्ही सी परी।

 





मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

एक श्रधांजलि: ग़ज़ल के शहंशाह जगजीत सिंह को




हर किसी का वक़्त आएगा, हर जिस्म सुपुर्द-ए-खाख हो जायेगा,
तू क्या लाया था जो ले कर जायेगा, खाली हाथ आया था, और याद रख खाली हाथ ही जायेगा,
तू तो ना होगा अब कभी भी जहाँ में, पर पीछे तेरे तेरा नाम रह जायेगा|
"बेखुदी" के मायने अब बताएगा कौन, "देश में निकले चाँद" की याद पर, परदेशियो को रुलाएगा कौन?
न करो ज़िक्र के "बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी" ये समझाएगा कौन?
"हाथ छूटे भी तो साथ नहीं छुटते", ये बताएगा कौन?
"होठो से छू कर गीतो को अमर" अब बनायेगा कौन?
तेरा जैसा, कोई दूजा न हो पायेगा, तेरे मुरीदों, हर लम्हा तू याद आएगा,


जब देखेगा कोई "बारिश के पानी में वो कागज की कश्ती", नाम तेरा जेहन में आएगा,
कोई जब भी "मुस्कुरा कर गम अपने छिपाएगा", नाम तेरा याद आएगा,
जिक्र जब भी "नज़र से पिलाने" की होगी, तू याद आएगा,
कोई जब सुनाएगा "चिट्ठी न कोई सन्देश, जाने वो कौन सा देश जहा तुम चले गए" कोई, नाम तेरा याद आएगा|

Rest In Peace : Ghazal Maestro Jagjit Singh.