ऐसा लगता है मेरे सारे सपने कही खो गए,
लोगो की की खातिर हम न जाने क्या क्या हो गए,
मेरी भी थी कुछ अपनी ख्वाहिशें, मेरी भी थी चाहतें, मेरे भी अपने कुछ सपने थे,
शीशे की तरह चूर चूर सपने मेरे हो गए,
सूखे पत्तों की तरह तेज हवा में खो गए,
जो चाहा मै वो न कर सका, बेवसी का आलम तो ये था,
के चाह कर भी मै किसी से न कह सका,
सिसकता रहा, मन ही मन में तो जब तब मै रोया भी, पर नज़र सबकी हमेशा मुझ पर थी,
मै चाह कर भी अश्क न बहा सका, दर्द को न बहा सका,
मै कभी मै न हो सका, जो चाहा मेरे अपनों ने मै वो होता गया,
सब कहते गए मै सुनता गया, जहा तक मुमकिन था,
उनके ख्वाबों की मंजिल बुनता गया,
किसी ने भी मेरे ख्वाबों के बारे में सुना ही नहीं
जैसे मैंने अपनी जिंदगी के बारे कोई ख्वाब बुना ही नहीं|
कोई बात नहीं, मै सबसे कह दूंगा के मैंने कोई ख्वाब बुना ही नहीं,
क्या होते हैं ख्वाब? मैंने तो इस चिड़िया का नाम पहले सुना ही नहीं|
मन ही मन मै ख्वाब बुनता रहूँगा, जो लोग कहेंगे मै सुनता रहूँगा|
अपने ख्वाबों को मै अपनी अमानत की तरह सहेजता रहूँगा,
जिस दिन ये गुलामी जान लेने पे बन आयेगी,
मै पिंजरा तोड़ के खुले आसमान में उड़ चलूँगा,
एक दिन मै मेरे ख्वाब जी के रहूँगा,
चाहे जो हो जाये अपने ख्वाबों को मै मरने नहीं दूंगा.
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
सोमवार, 20 सितंबर 2010
हुस्न वाले ...
My Friend Manoj Padaliya sent me this almost 1 month ago, I have his permission to publish this to my blog :).
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते...
इश्क वाले दगा नहीं करते...
जुल्म करना तो उनकी आदत है ...
ये किसी का भला नहीं करते...
जो नज़र आर-पार हो जय...
वो ही दिल का करार हो जाये...
अपनी जुल्फों का दाल दो साया...
जिंदगी खुस्गावर हो जाये ...
तेरी नजरो को देख पाए अगर ...
शेख बी मै-कुसर हो जाये...
तुझको देखो जो एक नज़र वो रंग...
चाँद भी शर्मसार हो जाये...
आइना अपने सामने से हटा...
ये न हो खुद से प्यार हो जाये...
भूल हो जाती है यु तैश मैं आया न करो...
फासले ख़तम करो बात बढाया न करो ...
ये निगाहे , ये इशारे , ये आदयें तौबा ...
इन शराबो को सरे आम लुटाया न करो ...
शाम गहरी हो कुछ और हसीं होती है...
साये जुल्फ को चेरे से हटाया न करो...
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शुक्रिया मनोज.
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते...
इश्क वाले दगा नहीं करते...
जुल्म करना तो उनकी आदत है ...
ये किसी का भला नहीं करते...
जो नज़र आर-पार हो जय...
वो ही दिल का करार हो जाये...
अपनी जुल्फों का दाल दो साया...
जिंदगी खुस्गावर हो जाये ...
तेरी नजरो को देख पाए अगर ...
शेख बी मै-कुसर हो जाये...
तुझको देखो जो एक नज़र वो रंग...
चाँद भी शर्मसार हो जाये...
आइना अपने सामने से हटा...
ये न हो खुद से प्यार हो जाये...
भूल हो जाती है यु तैश मैं आया न करो...
फासले ख़तम करो बात बढाया न करो ...
ये निगाहे , ये इशारे , ये आदयें तौबा ...
इन शराबो को सरे आम लुटाया न करो ...
शाम गहरी हो कुछ और हसीं होती है...
साये जुल्फ को चेरे से हटाया न करो...
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शुक्रिया मनोज.
सोमवार, 6 सितंबर 2010
कोई तो सामने आये, जिसे मोहब्बत रास आयी हो
चाहा जिसे भी मैने जितनी शिद्दत से ,
उसने उतनी जोर से मेरा दिल तोडा है,
चेहरे हर बार अलग अलग थे,
पर हर किसी ने मेरी आखों में अश्क, और,
मेरे दिल को तन्हा और तडपता हुआ छोड़ा है,
खैर , बहुत मुमकिन है के मुझ में ही कमी हो शायद,
पर ऐसा कोई तो सामने आये, जिसे मोहब्बत रास आयी हो !!!
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मुझे मोहब्बत पर पूरा यकीन है, but, m not lucky with love :(...
उसने उतनी जोर से मेरा दिल तोडा है,
चेहरे हर बार अलग अलग थे,
पर हर किसी ने मेरी आखों में अश्क, और,
मेरे दिल को तन्हा और तडपता हुआ छोड़ा है,
खैर , बहुत मुमकिन है के मुझ में ही कमी हो शायद,
पर ऐसा कोई तो सामने आये, जिसे मोहब्बत रास आयी हो !!!
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मुझे मोहब्बत पर पूरा यकीन है, but, m not lucky with love :(...
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