शनिवार, 1 मार्च 2014

मुझे हर पल बस तेरा ही खय़ाल है



मैं तुझसे कहूँ या ना कहूँ, तुझे तो मालूम है, के मेरा क्या हाल है,
मेरे ख्वाबों पे हुकूमत है बस तेरी, तुझ से ही मेरा ये रंग-ए-जमाल है,
मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥


जब सोचता हूँ तेरे बारे में, मैं यूँ ही बेवजह मुस्कुराता हूँ,
जब सोचूं तेरे बारे में,  कुछ और सोच नहीं पता हूँ।
तुझसे इक पल कि इस  दुरी से ही देख  हाल मेरा बेहाल है,
मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥



मैं चाहता हूँ कह दूँ, कि तुही मेरी ज़िंदगी है,
पर अल्फ़ाज़ों में कह न सकूंगा के तुझसे ही जुडी मेरी हर ख़ुशी है,
ज़ज्बातों कि बात और है, उनकी तो सुनता कोई नहीं है,
पर तुझे तो मालूम है कि अल्फ़ाज़ों से मेरी कभी बनी नहीं है,
बड़ी उलझन में हूँ, कैसे कहूं कि तेरी याद में मेरा हाल बेहाल है,
बिन कहे ही समझ जाना तू, कि, मैं चाहे तुझसे दूर कितनी भी हूँ,
मुझे हर पल बस तेरा ही ख्याल है, मुझे हर पल बस तेरा ही  खय़ाल है॥