शनिवार, 29 अगस्त 2009

लगता है प्यासी धरती से जैसे खुदा रूठ गया है

"बस , अब मै और न जी पाऊंगा लड़ लड़ इस जहा के साथ,
आज मेरा लड़ लड़ के गमो से जीने का हौसला टूट गया है"



इस कदर हमसे हमारा हमनवा रूठ गया है,
लगता है प्यासी धरती से जैसे खुदा रूठ गया है,
पूछा बताया ही के क्या है गलती मेरी,
जाने क्यो वो हमसे बे-वजह रूठ गया है...


अब हम मुस्कुराते नही हैं, ये शिकायत करना कोई,
मुझसे मेरी खुशियों का खुदा रूठ गया है,
अचानक, जाने क्यो बोझ सी लगाने लगी है जिंदगी,
ऐसा लगता है मुझसे जीने का हौसला रूठ गया है,
जाने क्यो, युही वो बे-वजह रूठ गया है...

आती थी खुशियाँ संग उसके ही मेरे दर्र तक,
अब भूले से भी गुजरती नही हैं खुशियाँ मेरे दर्र से,
ऐसा लगता है मेरी जिंदगी की सड़क से खुशियों का काफिला रूठ गया है,
वो क्या रूठा हमसे, हमसे ये सारा जहाँ रूठ गया है,
जाने क्यो हर कोई हमसे बे-वजह रूठ गया है...

आसन नही थी कभी भी ये जिंदगी मेरी,
मैंने लड़ के हासिल की है हर खुशी मेरी,
बस अब मई और इस जहाँ से लड़ पाऊंगा,
एक और कदम भी लड़ के आगे बढ़ पाऊंगा,
बस यही खतम होती जिंदगी मेरी, कर दो खाख तमाम जिंदगी मेरी,
मुझसे मेरे जीने का आज हौसला रूठ गया है,
जी पाउँगा एक पल भी मै गमो के साथ, क्योंकि अब मेरा लड़ने का हौसला टूट गया है

सोमवार, 10 अगस्त 2009

हमे ये इल्म नहीं था

वो जिनको शिकायत है के हम बेवजह ही हर पल मुस्कुराते हैं,
कभी नजरिया बदल के तो देखिएगा, आप को भी इल्म हो जाएगा,
के कितनी खूबसूरती से हम अपना हर गम इस जहाँ से छुपाते हैं


किसी परियों की कहानी की तरह वो इक दिन हमे मिल जायेंगे ये, इल्म नही था,
किसी अनजान को बेपनाह हम चाहेंगे ये इल्म नही था,
हम भी कभी किसी से अपना दिल ये लगायेंगे ये इल्म नही था,
इस दिल में किसी को धडकनों की तरह बसायेंगे ये इल्म नही था,
के किसी के इश्क में हम ख़ुद को भूल जायेंगे ये इल्म नही था,
के कोई होगा इस जहाँ में कोई हमरा भी हमसफ़र,
किसी को हम अपना खुदा बनायेंगे कभी भी हमको इसका इल्म नही था,


के वोः हमारी सांसो में हमारी रूह में बस जायेंगे,
गर्र आखिएँ बंद भी कर लू तो वोः ही नज़र आयेंगे,
के वोः हमारे रोम रोम में बस जायेंगे,
के गर कोई नाम हमारा पूछेगा, तो हम नाम उनका बताएँगे,
के इस कदर हम दीवाने हो जायेंगे, हमको कभी ये इल्म नही था,


के कभी किसी नाजनीन, किसी महजबीं को हम अपना कह पाएंगे,
के वो हमारी जिंदगी का न जाने कब हर पल बन जायेंगे,
के कब वो हमारी धडकनों की वजह बन जायेंगे, के उनके बगैर हम साँस भी न ले पाएंगे,
के ये दिल की लगी क्या चीज है, कभी हम समझ पाएंगे ये हमे इल्म नही था,
के एक पल में हम कभी एक उम्र जी जायेंगे कभी भी हमको ये इल्म न था,
के जिंदगी में हमारी ऐसे खुशनुमा दिन भी आयेंगे, ये हमे इल्म नही था…


सारे रंग हमारे गुलशन के बारिश की एक बूंद से बह जायेंगे,
मेरे खवाबो के गुलिस्तान को वो एक पल में ही शहर कर जायेंगे, हमे ये इल्म नही था…
के वो जिन्होंने वादा किया था मेरा हर गम मिटा देने का, वो हमारी आखों में लहू के अश्क दे जायेंगे,
के हर पल हमारे संग मुस्कुराने वाले, एक दिन हमारे संग ये खेल भी खेल जायेंगे ये हमे इल्म नही था…

पास आकर वो उन दूर जायेंगे, हम उनकी खातिर खुदा से बेगाने हो जायेंगे,
के जान तो नही लेंगे वो कभी भी हमारी, पर हर हमे हमारी सांसों के लिए तद्पयेंगे,
के इतनी आसानी से वो हमे भूल जायेंगे ये इल्म नही था, के हम उन्हें कभी भी न भूल पाएंगे,
के दिल तोड़ के वो हमारा हर पल मुस्कुराएंगे, और हम कभी दिल से मुस्कुरा न पाएंगे,
के हम इश्क के नाम से भी खौफज़दा हो जायेंगे, के जीते जी हम एक जिंदा लाश बन जायेंगे,
दिल तोड़ के वो हो जायेंगे अपनी दुनिया में मशरूफ, और कभी भी इस जहाँ के अब दुबारा न हो पाएंगे,
के हम वो हर किसी के वोः हर पल दिल से मुस्कुराने वाले “Ravish” न रह जायेंगे,
के हम कभी भी अब किसी से दिल लगाने की हिम्मत न जुटा पाएंगे, ये हमे इल्म नही था
के हम कभी भी वोः इंसान न रह जायेंगे, के दिल लगते वक्त हमे ख्वाबों में भी इस बात का इल्म नही था…
के हम इस कदर बदल जायंगे ये इल्म नही, के उन्हें प्यार कर के हम कुछ और ही हो जायेंगे हमे ये इल्म नही था,
के अब हम कभी भी ख़ुद को न बदल पाएंगे हमे कभी भी इस बात का इल्म नही था…



शनिवार, 1 अगस्त 2009

जब भी वो तन्हा होंगे, वो हमारे बारे में सोचते होंगे

जब भी वो तन्हा होंगे, वो हमारे बारे में सोचते होंगे,
मेरी आंखों में अश्क होंगे, और उनका दामन भीगा होगा,
कोई मेरे होठो को छू कर गुजरा है, ज़रूर उसकी खुशबू का झोंका होगा,
ज़र्रा ज़र्रा हूँ मै ना जाने कब से, वो भी पल पल बिखरा होगा,



आज क्यों ये भी मौसम बरसात हो रही है ?
लगता है मेरी याद में वो जी भर कर रोया होगा...

इक ज़माना हो गया आज मुझे उसकी सूरत देखे,
आँखें लगाये दरवाजे पर, वो शायद हर पल हमारा ही रास्ता देखता होगा...